Life | ज़िन्दगी,
A poem from my late mother; written while she was fighting cancer.
A little backround
My mom wrote this in the year 2021, after we got news of her 3rd & 4th cancer tumours.
Before this, she was diagnosed with breast cancer in 2019 and oral cancer in 2020. Both of these required surgeries.
We were sure her body won’t be able to take more surgeries - the one in 2020 was a massive 8 hour surgery and took her months to heal from that.
We discovered that her latest cancer tumours could be treated with chemo & radiation.
She ultimately beat all the cancers and was off cancer meds (oral chemo) in December 2023.
The thing with cancer treatment is, each treatment leaves your body only 70-80% of what it was before.
She passed away on 19th April 2024. The worst day of my life.
One can only imagine the mental toll it took as she went through with multiple tumours and multiple treatments over 5 years.
In this poem, she talks to Life and writes about her difficulties; but manages to also show us the way of how to be grateful - despite the circumstances.
She doesn’t ask for justice; doesn’t complain. Instead, she finds empathy that everyone has difficulties - and tries to find strength to deal with her own.
Original writeup (Hindi)
ज़िन्दगी,
यह मत कहना कि मैंने तुम्हारा साथ नहीं निभाया
तुम्हारे इस सफ़र में कई ठोकरें खाईं ,
उठने का साहस ख़त्म हो चला था,
धैर्य ने भी जवाब दे दिया था,
शारीरिक शक्ति कम होती जा रही थी।
पर फ़िर,
दैवी शक्ति,
अपनों का साथ,
अपने परायों का प्यार,
सही सोच ने ,
उठा कर खड़ा कर दिया।
फूल,खिल खिल कर,
पौधे हरे भरे रहकर,
मन को प्रसन्नचित करते रहे।
पशु, पक्षियों ने भी हौसला बढ़ाने में कोई कमी नहीं की।
प्रकृति हर पल उत्साहित करती रही।
अन्दर का चिकित्सक जाग उठा,
जिस का फ़र्ज़ है,
कि अन्तिम सॉस तक कोशिश नहीं छोड़नी चाहिये।
नई नई तकनीकी, नये अनुसंधान,
नये प्रयोग भला कैसे कामयाब होंगे,
जब मरीज़ ही हिम्मत छोड़ देगा?
यही सोच कि ,
कोई भी दो मनुष्य एक जैसे नहीं होते।
चिकित्सक वही, इलाज वही,
पर
हर किसी की प्रतिक्रिया अलग!
इसलिए,
ज़िन्दगी
तुम्हारे इस सफ़र में,
तुम्हारा साथ निभाती आ रही हूँ।
अपनी गलती, दूसरे की ग़लती को,
माफ़ करना सीख रही हूँ।
धैर्य बढ़ाने का प्रयास कर रही हूँ ।
परिस्थितियों से सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास कर रही हूँ ।
हर पल कुछ नया सीख रही हूँ।
दुनिया में,
हर जीव को कोई न कोई कष्ट तो है।
मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक, पारिवारिक
और कई तरह के आभाव ।
पर,
हर एक को अपना ही कष्ट कयूँ बड़ा लगता है?
ज़िन्दगी
बस तुमसे यही कहना है ,
तुम्हारे इस सफ़र में,
हर मोड़, हर उतार चढ़ाव में,
सिर्फ़ मैंने ही नहीं,
तुमने भी बहुत अच्छे से मेरा साथ निभाया है।
कितना कुछ दिया है तुमने,
मैं तुम्हारी शुक्रगुज़ार हूँ, ऋणी हूँ।
अब तुम्हारा साथ और भी ख़ुशी ख़ुशी निभाऊँगी,
धन्यवाद ।
सपना रमेश नचनानी
Original writeup (Hindi) + English translation
ज़िन्दगी,
यह मत कहना कि मैंने तुम्हारा साथ नहीं निभाया
तुम्हारे इस सफ़र में कई ठोकरें खाईं ,
उठने का साहस ख़त्म हो चला था,
धैर्य ने भी जवाब दे दिया था,
शारीरिक शक्ति कम होती जा रही थी।
O Life,
Don’t complain that I’m not holding on to you.
I faced many setbacks in this journey of yours,
I had lost the courage to get up.
I had lost patience.
Each day, my strength was waining.
पर फ़िर,
दैवी शक्ति,
अपनों का साथ,
अपने परायों का प्यार,
सही सोच ने ,
उठा कर खड़ा कर दिया।
फूल,खिल खिल कर,
पौधे हरे भरे रहकर,
मन को प्रसन्नचित करते रहे।
पशु, पक्षियों ने भी हौसला बढ़ाने में कोई कमी नहीं की।
प्रकृति हर पल उत्साहित करती रही।
But then,
Divine Energy,
My loved ones beside me,
Support from family and even strangers,
The right mindset,
Helped me stand strong.
The flowers that bloom,
The plants that stay green,
Made my spirits soar.
Even the little animals and birds around me lent me their courage..
All of nature conspired to inspire me.
अन्दर का चिकित्सक जाग उठा,
जिस का फ़र्ज़ है,
कि अन्तिम सॉस तक कोशिश नहीं छोड़नी चाहिये।
नई नई तकनीकी, नये अनुसंधान,
नये प्रयोग भला कैसे कामयाब होंगे,
जब मरीज़ ही हिम्मत छोड़ देगा?
यही सोच कि ,
कोई भी दो मनुष्य एक जैसे नहीं होते।
चिकित्सक वही, इलाज वही,
पर
हर किसी की प्रतिक्रिया अलग!
The doctor in me woke up,
Whose duty is to never give up - not till the last breath
New techniques, new research, New procedures..
How will they work, if the patient gives up?
I thought to myself,
No two people are alike
With the same doctor, the same treatment
There can be different outcomes!
इसलिए,
ज़िन्दगी
तुम्हारे इस सफ़र में,
तुम्हारा साथ निभाती आ रही हूँ।
अपनी गलती, दूसरे की ग़लती को,
माफ़ करना सीख रही हूँ।
धैर्य बढ़ाने का प्रयास कर रही हूँ ।
परिस्थितियों से सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास कर रही हूँ ।
हर पल कुछ नया सीख रही हूँ।
That is why, O Life,
In this journey of yours,
I am continuing to hold on to you.
I am learning to forgive myself and others too
I am trying to be more patient.
I am trying to adjust to my circumstances
Every moment - I am learning something new.
दुनिया में,
हर जीव को कोई न कोई कष्ट तो है।
मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक, पारिवारिक
और कई तरह के आभाव ।
पर,
हर एक को अपना ही कष्ट कयूँ बड़ा लगता है?
In this world,
Every creature has some difficulty
Whether mental, physical, emotional or within the family
And many other kinds of difficulties
But,
Why does everyone feel their difficulties are the worst?
ज़िन्दगी
बस तुमसे यही कहना है ,
तुम्हारे इस सफ़र में,
हर मोड़, हर उतार चढ़ाव में,
सिर्फ़ मैंने ही नहीं,
तुमने भी बहुत अच्छे से मेरा साथ निभाया है।
कितना कुछ दिया है तुमने,
मैं तुम्हारी शुक्रगुज़ार हूँ, ऋणी हूँ।
अब तुम्हारा साथ और भी ख़ुशी ख़ुशी निभाऊँगी,
धन्यवाद ।
सपना रमेश नचनानी
O Life,
I just want to tell you one more thing,
In this journey of yours,
Through all the ups and downs,
It’s not just me,
Even you have held me very well.
You have given me so much!
I am eternally grateful to you, nay - I’m in your debt!
From today, I will always hold on to you with immense happiness!
Thank you!
- Sapna Ramesh Nachnani